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दोस्त हो बस...

दोस्त हो बस नाम के झाँका कभी दिल में मेरे, मुझे क्या चाहिए । तन्हा रही मैं और तुम भी चाहती हूँ बहुत सारी हसरतें पूरी कँरु , तुम्हारे साथ आओ ना मेरे साथ सभी मिलकर एक से ग्यारह बनतें हैं । मचाते हैं धमाल जिन्दगी के सफ़र में। अनीता मिश्रा "सिद्धि"

By Anita Mishra
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