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अपराध को...

अपराध को छिपाने का नया महकमा बन गया, जिसे दी जिम्मेदारी हमने सुरक्षा की, वही बहसी बन गया।। कभी घर लूटा कभी लूट ली अस्मत, कही दंगे हुए, कही बलात्कारी, वोट लेकर नेता भी करते है अब ग़द्दारी। अपराध को छिपाने का नया महकमा बन गया।

By Awadhesh Negi
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