हमारी नज़रों में अब टिमटिमाती हुई उमंगें भी नहीं बस ढलते हुए कुछ वक़्त के सिरे हैं। हमारी नज़रों में अब टिमटिमाती हुई उमंगें भी नहीं बस ढलते हुए कुछ वक़्त के सिरे ...
पतझड़ था, पत्तियां झड़ गयीं थीं शाखों पर सिर्फ कांटे थे टेढ़े,मेढ़े नुकीले नुकीले। पतझड़ था, पत्तियां झड़ गयीं थीं शाखों पर सिर्फ कांटे थे टेढ़े,मेढ़े नुक...