मैं एक आम आदमी, जिसे सिद्धांतों से कोई सरोकार नहीं, मैं एक आम आदमी, जिसे सिद्धांतों से कोई सरोकार नहीं,
क्या ईमानदारी वाली बेईमानी बची है, अब तो केवल कमाने की होड़ बची है, क्या ईमानदारी वाली बेईमानी बची है, अब तो केवल कमाने की होड़ बची है,