आज लगता है जैसे वो बिखरे मोती तराशा हुआ... आज लगता है जैसे वो बिखरे मोती तराशा हुआ...
गिरे तो उस शबनम-ए-गुल का कोई कतरा मेरे दामन में फिर क्या झील क्या दरिया मैं समँदर दरकिनार करूँ गिरे तो उस शबनम-ए-गुल का कोई कतरा मेरे दामन में फिर क्या झील क्या दरिया मैं समँद...