पगडंडी आशीष hindikavita हिंदीकाविता लघुकथा एवं कविता लेखन प्रतियोगिता दुर्भाग्य विथि का विधान आओगे न दुबारा जीवन संवारा तुमने आजीवन ऋणी मैं तुम्हारा जीवन सुखी हो मेरा यही लक्ष्य बस तुम्हारा उलझे रहे सदा हम चल दिए तुम संस्कारों का है सहारा

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