जब दिल कोई दुखा जाता है, अपने शब्दों के तीरों से घायल कर जाता है, जब दिल कोई दुखा जाता है, अपने शब्दों के तीरों से घायल कर जाता है,
किराये के कमरों में रहते हुए कि विवशता, कुढ़न और भड़ास है ये नज़्म। किराये के कमरों में रहते हुए कि विवशता, कुढ़न और भड़ास है ये नज़्म।