कल दिन ढलने तक तो देखा उसे, ये न जाने रातें कहाँ बिता रहा हैं, सुबह अख़बार पढकर इल्म हुआ, एक बनजारा ... कल दिन ढलने तक तो देखा उसे, ये न जाने रातें कहाँ बिता रहा हैं, सुबह अख़बार पढकर ...
'मंज़िल भी तू, रास्ता भी तू, चल तुझे ही कारवाँ बनाते है, साथ तेरे बनजारे से कुछ लम्हे गुजारते है।' ए... 'मंज़िल भी तू, रास्ता भी तू, चल तुझे ही कारवाँ बनाते है, साथ तेरे बनजारे से कुछ ...