लगता है कि बस ख़ालीपन रह गया सब निथार के ले गया वक़्त मेरे ज़िस्म से मेरी रूह से. लगता है कि बस ख़ालीपन रह गया सब निथार के ले गया वक़्त मेरे ज़िस्म से मेर...
हमने बहते दरिया में भी कितने बंजर देखे हैं और कभी सूनी आँखों में लाख समन्दर देखे हैं. हमने बहते दरिया में भी कितने बंजर देखे हैं और कभी सूनी आँखों में लाख समन्दर ...