"मेरी सोच के श्रिंगार का नुक्ता तुम"चाँद की तलब किसे है! "मेरी सोच के श्रिंगार का नुक्ता तुम"चाँद की तलब किसे है!
बयार के संग चुम्बन उसका खिड़की से उपहार सा बहता बयार के संग चुम्बन उसका खिड़की से उपहार सा बहता