काश! यूं तब कर लिया होता, तू न जाता। जाता, तो लौट आता। काश! यूं तब कर लिया होता, तू न जाता। जाता, तो लौट आता।
वरना गलती निकालने वाले तो ताज महल में भी निकालते हैं। वरना गलती निकालने वाले तो ताज महल में भी निकालते हैं।
यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और विषाक्त खाने के कारण ... यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और व...