न जाने क्यों शहरों में अब पड़ोसी दिखाई नहीं देते। न जाने क्यों शहरों में अब पड़ोसी दिखाई नहीं देते।
दिन की आभा में भी दिखाई दे। दिन की आभा में भी दिखाई दे।
एक गुल्लक के मुख से यह कही गई है। एक गुल्लक के मुख से यह कही गई है।