लेकिन वृक्ष तुम तो आज भी तटस्थ हो प्राणियों की सेवा करने में । लेकिन वृक्ष तुम तो आज भी तटस्थ हो प्राणियों की सेवा करने में ।
उपकार तले हो भले दबे, पर मार्ग धर्म का ही अपनाना " उपकार तले हो भले दबे, पर मार्ग धर्म का ही अपनाना "
उर प्रेम भाव से भरे हुए बोले गांगेय तुम्हारी जय। उर प्रेम भाव से भरे हुए बोले गांगेय तुम्हारी जय।