फिर भी चरण-रज सिर लगाती नहीं अघाती। फिर भी चरण-रज सिर लगाती नहीं अघाती।
खाली पड़े कोनों को भर देती किसी सुंदर विचार से खाली पड़े कोनों को भर देती किसी सुंदर विचार से