एक टहनी टूटकर पतवार बनती है एक चिंगारी दहक कर अंगार बनती है एक टहनी टूटकर पतवार बनती है एक चिंगारी दहक कर अंगार बनती है
जैसे अनगढ़ मिट्टी को हौले हाथों से सृजन का रूप दिया जाता था जैसे अनगढ़ मिट्टी को हौले हाथों से सृजन का रूप दिया जाता था