अब तो उस दौर से बाहर आओ रिश्तों से बढ़कर उन्हें कुछ और पुकारो उनकी इज्जत करने से बढ़ा अब तो उस दौर से बाहर आओ रिश्तों से बढ़कर उन्हें कुछ और पुकारो उनकी इज्जत क...
शर्म आती है मुझे तुम्हारी गिद्ध सी नज़रों का सामना करते क्यूँ तुम्हारी नज़रों में साँप लौटते है एक... शर्म आती है मुझे तुम्हारी गिद्ध सी नज़रों का सामना करते क्यूँ तुम्हारी नज़रों म...
मैं कैद हूँ घर में, और वो आज़ाद पंछी सा उड़ रहा है। मैं कैद हूँ घर में, और वो आज़ाद पंछी सा उड़ रहा है।