अविराम भागती, चीत्कारती ज़िन्दगी मेंअपनी आजादी के मोल खरीदी हुई ये ख़ामोशी। अविराम भागती, चीत्कारती ज़िन्दगी मेंअपनी आजादी के मोल खरीदी हुई ये ख़ामोशी।
अनुभव किताबों में लिखता हूँ हर दिन अजनबी से मिलता हूँ अनुभव किताबों में लिखता हूँ हर दिन अजनबी से मिलता हूँ