न पढ़ा है अब तक अलिफ़ भी सफ़्हाखोल के शायद मसनूई हाफिज़ कुफ्र सरे आम सिखा रहे है न पढ़ा है अब तक अलिफ़ भी सफ़्हाखोल के शायद मसनूई हाफिज़ कुफ्र सरे आम सिखा रहे ह...
कह भी दूं तो कौन मानेगा कि तुम मायूस हो मेरे इश्क़ में। कह भी दूं तो कौन मानेगा कि तुम मायूस हो मेरे इश्क़ में।