ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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ज़िन्दगी ने आप ही सीखा दिया
तन्हा सफ़र करना
वरना हम तो अकेले चल रहे थे,
न जी रहे थे न मर रहे थे।
उनकी आवाज़ को
अपनी आवाज़ बनाना था
ऐ ज़िन्दगी,
ये कैसे मोड़पर लाके
छोड़ गई वो मुझको।
अब तो तू ही सहारा है ज़िन्दगी
और न मरने का डर न
जाती की खुशी है अब तो।