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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

Abstract

यह सब कुछ

यह सब कुछ

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यह सब कुछ,

जिसका कर रहा हूँ मैं निर्माण,

और बना रहा हूँ एक इमारत, 

दुनिया का नया आश्चर्य,

इतिहास का नया अध्याय का लेखन,

किसके लिए कर रहा हूँ मैं।


यह सब कुछ,

मिलता हूँ रोज नये आदमियों से,

अपने साथ तेरा भी देता हूँ परिचय,

ताकि तू भी पा सके सम्मान,

मेरी अनुपस्थिति में सबसे,

क्यों नहीं समझती तू यह सब।


यह सब कुछ,

पहनकर नित नई पोशाक,

बेवक्त आकर मिलता हूँ तुमसे,

रोज लिखता हूँ खत तुमको,

और तुम होती हो नाराज,

मुझको अपने दरवाजे पर देखकर।


यह सब कुछ,

कर रहा हूँ मैं एकत्रित,

इतनी दौलत और खुशियाँ,

कल को खुशी से जीने के लिए,

और मालूम है तुमको भी,

कि किसको सौंपना है मुझको,

कल यह सब कुछ।


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