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Pinki Rao

Others

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Pinki Rao

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ये ढलती शाम

ये ढलती शाम

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ये ढलती शाम कुछ कहे

ये ज़रुरी तो नहीं

इस बहते पानी मे आज

रोशनी की बूंदे पूरी तो नहीं


हम तूफा़नों को मोड़ देगें

पर आँधी छन के आ जाएगी

उस वक्त की रेत पर लिखे

निशानों को मिटा जाएगी


फिर बैठ के सोचोगे कि कहीं

कोई ख्वाहिश अधूरी तो नही

ये ढलती शाम कुछ कहे

ये जरूरी तो नहीं।


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