वसंत
वसंत
दिलों की बातें
आँसू कह जाते
ख़ुशी -दुःख में,
पलकों की खिड़कियों से
झाँकते दूसरों की
मन की दुनिया,
बहुत दूर जाने
बहुत दिनों बाद
मिलने पर
ऐसे ढुलकते आँसूं
जैसे गालों पर पड़ी हो ओस,
तब भीगता है मन
उन आंसुओं में से
कुछ आँसू ऐसे भी
जो बचाकर रखें
यादों की किताबों में,
जब याद आयी
खोली किताब
किस्से अक्षरों में लिखे
आंसुओं में घुल गए,
धूल गए।
वसंत में कोयल गाने लगी
प्रेम के गीत
मन की खिड़कियों से
अब आँसू नहीं लुढ़कते
इंतजार में सूख भी जाते
आँखों से आँसू
वक्त को दोहराता
वसंत का मौसम,
हर साल आता
मीठी आवाज कोयल के संग,
जो मन की किताब के कोरे पन्नों में
टेसू की स्याही से,
लिखने लग जाता प्रेम के गीत।
