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Rahul Bhatt

Others

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Rahul Bhatt

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वर्षा एक अहसास

वर्षा एक अहसास

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    झिम्म-झिम्म बरसते, वर्षा की बूँदें,

    कहीं घिरी धरा कोहरे से।

आकाश में घिरें मेघ है,

      धरा घिरी है हरियाली से।

दूर तक नजर ना आते,

    रवि की तुहिन किरणें।

पंछी बैठे है, नीड़ पर,

     न देखते दूर तक।

पौधों पर न ठहरते,

    ये वर्षा की बूँदें।

ठहरते जल पर,

      उठते बुलबुले।

सरिता की तेज लहरों को,

    काटती ये बूँदें।

फिर भी बहकर ले जाती ,

   ये सरिता की तेज लहरें।

घने नन्हे पौधों की धरा को,

   सिंचती ये बूँदें।

नन्ही शैवालों की दरी को,

   जन्म ये देती है ये बूँदें।

        



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