वो दिन
वो दिन
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वो भी क्या दिन थे
जब दोस्त बहुत थे
मन लग रहता था
दिन बना रहता था
हम बड़े होते गये
दोस्त कम होते गये
कुछ ख़ास बच गये
कुछ ख़ास भी बदल गये
हम सोच सोच के थक गये
कि क्या गलती कर गये
पर जब ये सब समझ गये
तब तक अरसे गुजर गए
फ़िर एक नया मोड़ आया
ओर हम चलते चले गये
कुछ ख़ास को याद कर
कुछ ख़ास को भूल कर
हम भी आगे बढ़ते चले गये I