वक्त का पहिया
वक्त का पहिया
मन की किताब पर
लिखा हुआ एक एक शब्द
वक्त की लहरों के आवेग से
मिट ही जायेगा ।
ये वक्त है साहब
अच्छा हो या बुरा
किसी न किसी तरह
कट ही जायेगा ।।
वक्त का पहिया
कब रुका है
किसी सल्तनत के आगे
वक्त कब झुका है
वक्त ने राजा को रंक
और रंक को राजा
बनते देखा है ।
अकिंचन चंद्रगुप्त को सम्राट
और राजकुमार सिद्धार्थ को
महात्मा बुद्ध बनते देखा है ।
साम्राज्ञी द्रौपदी को
दासी सैरन्ध्री बनते देखा है
सम्राट युधिष्ठिर को
एक "कंक" बनते देखा है ।
वक्त की लीला बड़ी निराली है
भगवान राम से भी
वन वन की खाक छनवा डाली है
नामी गिरामी लोग
लावारिस की तरह मर गये
वक्त के आगे
बड़े बड़े सूरमा हार गये ।
इंसान क्या है वक्त के सामने
उसकी औकात क्या है
छोटे बड़े सबका
कभी न कभी वक्त आता है
वक्त के साथ
जिसने चलना सीख लिया
समझो उसने
जीवन जीना सीख लिया ।।