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Neha Jain

Others

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तीन तलाक- एक नारी की व्यथा

तीन तलाक- एक नारी की व्यथा

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डर डर के जीना सीख लिया था

मान लिया था मन ने अब

यही है इस जीवन का मूल

कभी भी शौहर जाएगा भूल

तीन तलाक के ये तीन शब्द

देते है ज़िन्दगी को रद्द


खत्म हुआ अब तीन तलाक

नहीं होंगे अब सपने राख

जीने की अब होगी चाह

मिली है महिलाओं को नई राह

नहीं होगा अब भेद भाव

शादी का न होगा यहाँ मोल भाव


खुल कर अब जीएगी नारी

नर नहीं पड़ सकेगा भारी

अब तो होगा बराबर का फैसला

तीन तलाक अलविदा कह चला


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