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" थकी हुई सी ज़िंदगी "

" थकी हुई सी ज़िंदगी "

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थकी हुई सी ज़िन्दगी,
थका हुआ मुक़ाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर लमहा परेशान है।।

सुबह की धूप शाम है,
शाम रात सी घनी।
हवा मे क्या ये घुल रहा,
फिज़ा ज़हर सी बनी।
कहाँ आ गये है हम,
हर कोई हैरान है।।

अजनबी है हर कोई,
अजनबी है ये जहाँ।
मोबाईल वैब से जुड़े,
दिलों के फ़ासले यहाँ।
हर किसी का नाम है,
पर हर कोई बेनाम है।।


थकी हुई सी ज़िन्दगी,
थका हुआ मुक़ाम है।
कौन सी जगह है ये,
हर लमहा परेशान है।।


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