हम रहते हैं जहां . . .
हम रहते हैं जहां . . .
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हम रहते हैं जहाँ,
वहां इंसानों की नहीं
उनके रुतबे की कदर की जाती है ।
ज़िंदा इंसानों की नहीं
पर 'मुर्दों' की ख़ैरियत पूछी जाती है ।
तस्वीरें 'यादों' के लिए नहीं
दुनिया को दिखाने के लिए खींची जाती हैं ।
यहाँ हुनर तो केवल 'शब्द' है
बिना हुनर भी नामों की पहचान की जाती है ।
खूबसूरती सबको भाती है यहाँ
पर 'पहचान' अमीरों के चेहरों से की जाती है ।
सच है इतना सा हमारा,
हम रहते हैं जहां
वहाँ ज़िन्दगी ख़ुद के सकूँ के लिए नहीं ।
एक दूसरे को हराने के लिए जी जाती है ।
