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Virender Veer Mehta

Others

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Virender Veer Mehta

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हम रहते हैं जहां . . .

हम रहते हैं जहां . . .

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हम रहते हैं जहाँ,

वहां इंसानों की नहीं

उनके रुतबे की कदर की जाती है ।

ज़िंदा इंसानों की नहीं

पर 'मुर्दों' की ख़ैरियत पूछी जाती है ।


तस्वीरें 'यादों' के लिए नहीं

दुनिया को दिखाने के लिए खींची जाती हैं ।


यहाँ हुनर तो केवल 'शब्द' है

बिना हुनर भी नामों की पहचान की जाती है ।


खूबसूरती सबको भाती है यहाँ

पर 'पहचान' अमीरों के चेहरों से की जाती है ।


सच है इतना सा हमारा,

हम रहते हैं जहां 

वहाँ ज़िन्दगी ख़ुद के सकूँ के लिए नहीं ।

एक दूसरे को हराने के लिए जी जाती है । 



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