स्त्री
स्त्री

1 min

297
तुम ख़ामोश क्यों हो?
उठो इस खामोशी को
तोड़ो
क्यों भीतर यूं कुढ़ती
जा रही हो
दम घोटती इन इच्छाओं
को पुनः जागृत करो
स्वयं को पहचानो
यूं अपने अस्तित्व को
खोने मत दो
एक स्त्री का स्वयं
पर होते आघातों
को सहन करना
आत्मा के मर जाने
जैसा है
उठो यूं आत्मा को
मत मारो
आत्मा अजर है अमर है
हां मैं तुमसे ही आग्रह
कर रही हूं
स्वयं के अस्तित्व को
पहचानो
तुम्हारे भीतर ही एक शक्तिशाली
स्त्री रहती है
हां उठो... मैं तुमसे
कह रही हूं, मैं कोई और नहीं
तुम्हारे भीतर की ही स्त्री
तुमसे बोल रही हूं।