Rajesh Kamal
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सर्दियाँ
मौसम नहीं
एक एहसास है,
खुशी का, उत्सव का,
अमीरों की गुलाबी शाम हैं
खनकती हँसी, हाथों में जाम है,
गरीबों के लिए ठिठुरन, बुझती अलाव है,
सुबह जिंदा हैं, यही उत्सव, यही घाव है।
गणतंत्र
स्त्रियाँ
आशा
शौर्य
टी वी मुझे दे...
वक्र-चक्र गति
मेघ गीत
गोधूलि की बेल...
अमलतास के पील...
सावन की धूप