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Rajesh Kamal

Others

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Rajesh Kamal

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सर्दियाँ

सर्दियाँ

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सर्दियाँ

मौसम नहीं

एक एहसास है,

खुशी का, उत्सव का,

अमीरों की गुलाबी शाम हैं

खनकती हँसी, हाथों में जाम है,

गरीबों के लिए ठिठुरन, बुझती अलाव है,

सुबह जिंदा हैं, यही उत्सव, यही घाव है।


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