समर्पण
समर्पण
ओ किशन, ओ मोरे किशन,
जब सिंदूरी सिंदूरी,
होता है गगन,
जब सनन सनन,
चलता है पवन,
जब भ्रमर फूलों में,
करते है गुंजन ,
जब पंछी पंख पसारे,
भरने को उड़न,
तब ओ किशन, ओ मोरे किशन,
तुझे करके सुमिरन,
हम हो के जोगन,
दिल में करके ध्यानम,
आके तेरे चरणम,
जोग से जोग लगा के,
जोत से जोत जला के,
करते हैं तुझ पे अर्पण,
खुद को ही खुद,
चरणों में तेरे,
करते हैं समर्पण, करते हैं समर्पण।
ओ दिलदार, पालन हार,
देखते रहते तुझे,
अपलक लोचन,
भक्ति में तेरे,
भिगाये दो नयन,
बांहों में भर ले,
गले लगा ले,
दिल में बसा ले,
उद्धार कर ले,
ये तुच्छ जीवन, ये तुच्छ जीवन,
आये है तेरे शरण, तेरे शरण,
ओ किशन, ओ मोरे किशन, ओ मोरे किशन।
जय श्री कृष्ण