श्रद्धा और सबूरी
श्रद्धा और सबूरी
कष्टों की काली छाया दुःख दाई है
जीवन मे घोर उदासी लाई है।
संकट को टालो साई दुहाई है।
तेरे सिवा न कोई सहाई है।
मेरे मन में तेरी मुरत समाई है।
हर पल हर क्षण महिमा गाई है।
धर मेरे निराश की आंधी आई है।
क्यूं मेरी सुध भूलाई हैं।
सारे जगत का तुम्हीं आधार हो।
निराकार भी और साकार हो
मेरी कल्पना साकार कर दो।
सूखी दुनिया में रंग भर दो।
नाथ अवगुण अब तो बिसारो
कष्टों की लहर से आके उबारो ।
रहम नज़र करो उजड़े के
जिंदगी संवरेगी एक वरदान से।
आपने सदा ही लाज बचाईं है।
मन में बसी विश्वास जगाई है।
कष्ट पाप उतारो प्रेम दया और करुणा से हमें निहारो। ....
आपने ही शिरडी को नाम बनाया ।
छोटे से गांव में स्वर्ग सी माया।
कष्ट पाप श्राप उतारो प्रेम से निहारो
आप का दास हूं एसे न टालिए
गिरने लगी हूं साई संभालिए।
तेरे खजाने में अल्लाह की रहमत।
तुम सदगुरु साई समरत ।
देखें टालो या दामन बचालो
हिलने लगी है रहनुमाई संभालो।
