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Omza T

Children Stories

4.5  

Omza T

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शेर और चूहा

शेर और चूहा

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पड़ा था शेर सुस्त जहाँ ,

चूहा खेले मस्त वहां।

इधर-उधर उछल-उछल ,

मचा दी उसने उथल-पुथल।

शेर जागा यह शोर सुन ,

चूहे की सिट्टी-पिट्टी गुम।

सोचा की मैं भाग जाऊं ,

शेर के पंजों में न आऊं।


जैसे ही वो भागने को आया ,

शेर के चंगुल में खुद को पाया।

बोला शेर से , " छोड़ो तुम गुरूर ,

एक दिन तुम्हारे काम मैं आऊंगा ज़रूर। "

शेर भी बोला , " छोटा जीव है।

खेल ही तो रहा था , चलो ठीक है। "


शेर के पंजों से जैसे ही छूटा ,

दुम दबा वह घर को लौटा।


कुछ दिन बाद थी जब सुबह सुहानी ,

इंसानो ने शुरू की अपनी मनमानी।

आये थे पकड़ने वो एक शेर।

फेंका जाल , किया उसे ढेर।


जाल में फँस जब शेर कराहा ,

अन्य जीव ने उसे सराहा।

मदद मांगने वह दहाड़ा ,

शोर सुन चूहा आया दौड़ा।


जाल कुतर उसने छुड़ाया।

शेर ने फिर एहसान जताया।


शेर ने समझा कुदरत का कायदा ,

छोटे जीव का बड़ा है फायदा।



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