शब्द ही शब्दों का
शब्द ही शब्दों का
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शब्द ही शब्दों का
प्रबंध है, शब्दों से
बढ़कर शब्द नहीं
जिसका कोई अर्थ
व्यर्थ है, शब्द ही
शब्दों का भावार्थ
है, शब्द से नहीं
कोई शब्दों का
"हार्दिक" प्रबंध है।
