Badakhwar
Others
रात के साहिर का तिलिस्म है ये,
निगाहों में बोझल हैं नींद के साए,
सांसें मेरी नम सी हैं,
खुली आँखो से देखे चेहरे कई,
शहर चंपई धूप में धुंधले पड़ गए ।
शब
वाकिफ़