Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Phool Singh

Others

4  

Phool Singh

Others

सब नश्वर है

सब नश्वर है

1 min
542



एक ही सबका है, ईश्वर

हिन्दू ,मुश्लिम, सिख, ईसाई

अनेक धर्मों में बट गया जन,फिर भी मन में है, भटकन ||


यथार्थ जीवन का दर्पण है

वेद पुराण में वर्णन है

समाहित कर जग कल्याण को

गीता जग में उपस्थित है, मन में फिर क्यूँ भटकन है ||


कभी खिलखिला हँसता जब

औंरों को दुःख देकर

कभी असहाय बन 

खुद रोता तड़प-तड़प कर, कृत्य अपने स्मरण कर ||


रात्रि गुजारता करवटें बदल

कभी सोता मस्त मलंग

जीवन भर रहा इस उलझन

क्या कमाया जिन्दगी भर, सब कुछ, जग में है नश्वर ||


क्या करूँ मैं, क्या कहूँ मैं

क्या सोचे ये चंचल मन

आत्मचिंतन को छोड़ के मैं

अर्जित करने मान सम्मान और केवल धन ||


जीवन का दस्तूर भुला

सच से अपना पीछा छुड़ा

उस ईश्वर का नाम भुला

भुला बैठा मैं सुख की धुन, फिर भी मन में है भटकन ||


Rate this content
Log in