सात फेरे
सात फेरे
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तेरे संग चली चारों
तरफ अग्नि के,
संग तेरे अपना घर
छोड़ कर आई हूं,
फिर भी मैं पराई हूँ।
तेरे बच्चे जने बड़ा
किया उन्हें,
कभी सुनी दुत्कार नैन
आंसूं लाई हूँ,
फिर भी मैं पराई हूँ।।
तुम्हें देख ही रोया
हँसा मैंने,
तेरी पत्नी बन हर
धर्म निभाई हूँ,
फिर भी मैं पराई हूँ।
