रुसवाई..
रुसवाई..
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कैसे कैसे ज़माने में रुसवा हुए है हम;
मेरे खून से तुम्हारा नाम लिखा गया।
आंसू न बहायेंगे तेरी यादों में अब से हम;
हँस हँस के यहाँ हमको पागल कहा गया।
कैसे कैसे पत्थरों को सह के दीवाने हुए हम;
एक एक घाव को तेरे नाम से खोदा गया।
नसीहत न देंगे कभी न दुआ किसी को देंगे हम;
हर एक आह पे तेरी हमें यूँ बदनाम किया गया।
वो किस लोक के लोग थे 'गिनी' पहचान न सके हम;
हर बार मेरे दिल का भरोसा यूँही तोड़ा गया ...