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Jigisha Raj

Others

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Jigisha Raj

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कोई राज़ है....

कोई राज़ है....

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हर अक्स के पीछे छिपा एक कोई राज़ है,

यूँ ही न थे तनहा हम, ये तन्हाई भी कोई राज़ है।


यूँ  तो बेबसी कहो या चाहत की इन्तेहाँ कोई,

यहाँ हर खामोशी के पहलू में छुपा कोई राज़ है।


यूँ तो बेइमानी कहो या रुसवाई वक़्त की कोई

यहाँ हर लम्हा हर पल छुपा कोई राज़ है।


यूँ तो उल्ज़न कहो या चुपकी सी कोई,

यहाँ हर लफ्ज-ए-उल्फत में छुपा कोई राज़ है।


यूँ तो हर गम हर ख़ुशी है बंदगी सी कोई,

यहाँ हर शाम ओ सहरा में छुपा कोई राज़ है।


यूँ तो बेवफाई कहो या रुसवाई सी कोई,

यहाँ हर इश्क ऐ जूनून में छुपा कोई राज़ है।


यूँ तो हर शाम ओ सुबह तेरा अश्क सा है कोई,

यहाँ हर सूफी गहरी रात में छुपा कोई राज़ है।


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