प्यार का ठेका/कंडीशनल मैरिज/कांट्रैक्ट मैरिज
प्यार का ठेका/कंडीशनल मैरिज/कांट्रैक्ट मैरिज
हम पुराने जमाने के लोग ठहरे हमने दो सदियां देखी है।
21वीं सदी की है रीत देखी।
शादी को भी प्यार का ठेका बनते हुए देखा।
मन अचंबे से भर गया है।
सात जन्म से बनने वाले रिश्ते आज ठेके के रिश्तो में आ गए हैं तो मैं कहती हूं मेरे मन की बात
क्या प्यार भी ठेके पर किया जाता है।
क्या होता है यह लव कॉन्ट्रैक्ट।
मुझे बात यह आज तक समझ में नहीं आई।
क्या शर्तों पर भी प्यार करते हैं।
क्या प्यार में भी समझौते होते हैं।
अगर हां तो वे कैसे समझौते हैं।
जहां एक दूसरे में प्यार ना हो।
यहां एक दूसरे में विश्वास न हो।
वहां क्या प्यार है।
वह तो एक समझौता ही है।
समझौते वाली प्यार और शादियां कितनी निभती है पता नहीं।
जहां व्यवहार भी एक दूसरे से तोल तोल के किया जाए, वहां प्यार क्या टिक पाएगा।
कब सामने वाले को बुरा लग जाए यह सोच सोच पग बढ़ाएगा।
वहां प्यार क्या टिक पाएगा। ।
मेरे ख्याल से तो नहीं नहीं नहीं।
समझौते कॉन्ट्रैक्ट वाला प्यार,
प्यार नहीं समझौता है।
कांट्रेक्ट वाले कांट्रेक्ट लव की मेरे हिसाब से तो होती है उम्र बहुत छोटी।
लव तो अनकंडीशनल होता है कंडीशनल नहीं।
शर्तों पर जिंदगी चलाई जा सकती है प्यार नहीं।