पुत्री देवो भव:।
पुत्री देवो भव:।
मुझे अपनी जिंदगी जीने दो,
खुशियों के आंगन में टहलने दो।
खुद को अपना आशियाना चुनने दो,
अब गैरो के कदम पे चलना मुझे राज नहीं आयेगा।
मुझे अब स्कूल जाने दो,
वो पुस्तके, शिक्षिका और स्कूल का दरवाजा,
जोर जोर से मुझे पुकार रहै है,
अ आ इ मुझे भी गुनगुनाना है।
बेटियां तो बोझ है।
पढ लिखके क्या करेगी?
क्यों हर घर की एक ही कहानी है।
जो ये कहते है, कोई तो समझाओ उसे की,
"बेटियां तो बोझ नहीं खुशियों की सौगात है।"
बंधन की सोच से मुझे मुक्त करो,
अभी मुझे लंबा सफर काटना है।
बुझे हुए दिये को जलाना है,
दुनिया को कुछ कर के बतलाना है।
एक लड़की का जन्म लिया,
वो क्या मेरी गलती है?
मुझे बोझ ना समजो,
मै अपने आप में खाल हूॅं।
में खिलखिलाती एक चिड़िया हूॅं
धरा मुझे राज ना आयेगी,
आसमान में मुझे उड़ना है।