प्रयास
प्रयास
1 min
301
मेरे कमरे की खिड़की से तुम रोज दिख जाती हो
उन कांच सी आंखों से मुझे लुभा जाती हो
मेरे अंदर एक उमंग दौड़ता है
और चेहरा एकदम खिल जाता है
तुम्हारे नन्हे हाथों से बेर पकड़ना
बीच बीच में मुझे निहारना
कोई संदेश दे जाता है
मेरे भीतर आस जगाता है
आओ मुझे छूकर चली जाओ
तुम्हारे स्पर्श से राम की याद दिलाओ
मैं भी एक नन्हा प्रयास करूं
प्रकृति के कण कण में उसको पाऊं।