पल पल जिंदगी
पल पल जिंदगी
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किताब के पन्नों की मानिंद
अक्सर पलटते देखा है,
दोहराना जिसे मुमकिन
पर बदलना नामुमकिन।
ये जिंदगी की किताब है
बरसों संजोयी संवारी हुई,
कभी कडवाहटों की धुंध
कभी याद भरी पुरवाई भी,
हर लम्हा एक विरासत
बेमोल कहो अनमोल,
झोंके सा कोई आकर
खुशरंग है कर देता।
तितली के पर लगाकर
वक़्त तेज़ है उड़ जाता
और कभी तो ये ही वक़्त
सिमट जाता है किसी लम्हे में।
दिन रात बराबर चलते हैं
और वक़्त घड़ी की सुइयों में।
