पिता की भावनाएं
पिता की भावनाएं
माँ को गले लगाते हो, कुछ पल मेरे भी पास रहो,
पापा याद बहुत आते हो? कुछ ऐसा भी मुझे कहो,
मैंने भी मन में जज़्बातों के तूफान समेटे हैं,
ज़ाहिर नहीं किया, न सोचो पापा के दिल में प्यार न हो।
थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर में कोई मायूस न हो,
मैं सारी तकलीफें झेलूँ और तुम सब महफूज रहो,
सारी खुशियाँ तुम्हें दे सकूँ, इस कोशिश में लगा रहा,
मेरे बचपन में थी जो कमियाँ, वो तुमको महसूस न हो।
है समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे,
मन में भाव छुपे हो लाखों, आँखों से न नीर बहे!
करें बात भी रुखी-सूखी, बोले बस बोल हिदायत के,
दिल में प्यार है माँ जैसा ही, किंतु अलग तस्वीर रहे।
भूली नहीं मुझे हैं अब तक, तुतलाती मीठी बोली,
पल-पल बढ़ते हर पल में, जो यादों की मिश्री घोली,
कंधों पे वो बैठ के जलता रावण देख के खुश होना,
होली और दीवाली पर तुम बच्चों की अल्हड़ टोली।।
