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Ranjeet Singh

Others

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Ranjeet Singh

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दर्द माँ-बाप का

दर्द माँ-बाप का

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वे बच्चे जो करते हैं माँ-बाप का तिरस्कार,

अक्ल आती है उन्हें जब पड़ती है बुरे वक़्त की मार।

क्या करे दुनिया ही ऐसी है,

बेटे तो बेटे बेटियां भी ऐसी हैं।

माँ-बाप का खून करते हैं बच्चे,

जब बारी आती है अपनी तो रो पड़ते हैं बेचारे बच्चे।

माँ-बाप के सहारे जीते थे कभी बच्चे,

अब बच्चों के सहारे जीते हैं माँ-बाप।

बच्चों के द्वारा गाली मिलती है उन्हें बेशुमार,

पर क्या करें उम्र ही इतनी लम्बी है कि खानी पड़ेगी ही मार।

सौ में से एक लाल निकलता है आज्ञाकारी,

वह भी बिगड़ जाता है पाकर बुरी सांगत और यारी।

बच्चे ने अपने ही माँ-बाप को त्यागा है,

पर वह नहीं जानता की वह कितना अभागा है।

खराब करते हैं इज़्ज़त माँ-बाप की बच्चे,

पर क्या सोचा है कि कभी उनकी।


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