नदी से सवाल
नदी से सवाल
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कितना पावन है जल तेरा
कितना निर्मल है तेरा जल
तेरे बिन तो है अधूरा ,
यह सारा जीवन।
लेकर बादल तेरा जल,
जब बरसातेंं है धरती पर
तेरे बहते झरनों को देख ,
कामदेव भी शरमा जाता।
पर करती है कितना बुरा तू
जब तुझ में तूफान आ जाता।
तू ही देती है जीवन,
तू ही क्यों लूट ले जाती है ?
मेरी समझ में है नदी
तेरी कहानी नहीं आती है।
कभी बहारें दे जाती तू,
कभी बाहरें ले जाती
हर बार तू मेरे लिए
नई पहेली बन जाती।।
जो बार-बार समझने पर भी
मेरी समझ नहीं आती।।
तू ही जीवन दे जाती है
तू ही जीवन ले जाती।
मेरी उलझन सुलझाना तुम
लिख करके मुझ को पाती!!