मुश्किल हैं..
मुश्किल हैं..
खुद को ढूँढू कहाँ, खुद की तलाश भी मुश्किल है,
भीड़ में तन्हाई, और अकेले में रुसवाई,
पता नहीं कहां है दिलचस्पी, दिल को समझना भी मुश्किल है
कायर नहीं, लेकिन कायर भी हूँ,
हारी नहीं, लेकिन जीती भी कहाँ हूँ..
ज़िन्दगी की जंग में खुद के अलावा किसी को ढूँढू भी तो क्या फायदा,
इतना कोहरा है इस ज़माने की अवाम में कि,
किसी से उम्मीदें लगाना भी मुश्किल है.
खुद को ढूँढू कहाँ, खुद की तलाश भी मुश्किल है।
मुश्किल है हर वो राह जहाँ खुद का साया नहीं,
मुश्किल है हर वो दौर जहाँ खुद को गवाह कर भी तुमने खुद को पाया नहीं..
हाँ, धूप में खुद की छाव बनना मुश्किल है
खुद के ज़ख्मो का घाव बनना मुश्किल है
हर पल खुद को बड़ी आसानी से समझाना भी आसान नहीं, मुश्किल है
काश ! आईना बोल पाता हर हकीकत मुझसे,
लेकिन ये ख्याल भी मुश्किल है।
ख़ुदसे तंग जो हो जाऊं तो भी भागूं कैसे ख़ुद से,
खुद की परछाई को छोड़ जाना भी मुश्किल है
खुद को ढूँढू कहाँ, खुद की तलाश भी मुश्किल है।
