हम कमज़ोर तो नहीं
हम कमज़ोर तो नहीं
कुछ लोग हमेंं आजमाते हैं,
हमारी कामयाबी की वाह वाही एक पल में,
और दूसरे ही लम्हे में हमें जज कर जाते हैं।।
ज़माने की बात और है लेकिन कुछ मर्द,
हमारी आज़ादी पर अपना हुक्म चलाते हैं,
अगर जो ना कह दे अपना ज़ोर हम पर चलाने से,
तो एसिड से हमेंं जलाते हैं।।
बलात्कार करने से न जाने कौन सा ख़ुद में भगवान पाते हैं,
हैवानियत जताकर वो अक्सर नामर्द ही कहलाते हैं।।
हम छींकते हैं, चिल्लाते हैं,
कुछ तो सुनकर भी खामोश रह जाते हैं,
आवाज़ नहीं उठाते हैं।।
वैसे हम कमज़ोर तो नहीं,
फिर भी हमेंं कमज़ोर बताते हैं।।
खुली सड़क पर चलने की उम्मीदों के पंख,
राहों में ही कट जाते हैं।।
क्यों हमारे पैदा होने पर कोई खुशियाँ नहीं मनाता है,
क्यों ये जहाँ बेटियों को बोझ के नाम से जानता है।।
अब इस सोच को बदलना होगा,
मर्दानगी में औरतों को मर्द से भी आगे बढ़ना होगा।।
अब कदम से कदम मिलाकर चलना होगा,
बलात्कर, एसिड अटैक से निडर होना होगा।।
जागो नारियों जागो,
अब वक्त होगया है,
हमेंं भी हक़ के लिए लड़ना होगा, एक जुट होके, आगे बढ़ना होगा।।
