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डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Others

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डाॅ. बिपिन पाण्डेय

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मुक्तक

मुक्तक

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लगाकर बोलियाँ अपनी जहाँ खुद्दार बनता हैं।

सहारा झूठ का लेकर बड़ा सरदार बनता हैं।

समझ में ही नहीं आता सलीका आज का अदबी,

कलम जो बेचकर लिखता वही कृतिकार बनता हैं।।

            


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