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मुहब्बत

मुहब्बत

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मुहब्बत
भाषा का वह रूप
पढ़ें जिसे
आँखों से,
बिन बोले
पशु-पक्षी, जीव जन्तु
समझते हैं
इसके निर्मल आकाश को
दिल में उठती प्यास को
आनंंदित होते हैं
इसकी छुअन से
स्पर्श से
हर्षित होते हैं
जान जाते हैं
उस मूक संवाद को
पर इंसान क्यूँ?
असमर्थ होता जा रहा
इसे पढ़ने और समझने में।


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